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वाहि॑ष्ठो वां॒ हवा॑नां॒ स्तोमो॑ दू॒तो हु॑वन्नरा । यु॒वाभ्यां॑ भूत्वश्विना ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

vāhiṣṭho vāṁ havānāṁ stomo dūto huvan narā | yuvābhyām bhūtv aśvinā ||

पद पाठ

वाहि॑ष्ठः । वा॒म् । हवा॑नाम् । स्तोमः॑ । दू॒तः । हु॒व॒त् । न॒रा॒ । यु॒वाभ्या॑म् । भू॒तु॒ । अ॒श्वि॒ना॒ ॥ ८.२६.१६

ऋग्वेद » मण्डल:8» सूक्त:26» मन्त्र:16 | अष्टक:6» अध्याय:2» वर्ग:29» मन्त्र:1 | मण्डल:8» अनुवाक:4» मन्त्र:16


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शिव शंकर शर्मा

पुनः वही विषय आ रहा है।

पदार्थान्वयभाषाः - (नरा+अश्विना) हे प्रजाओं के नेता अश्विद्वय ! (हवानाम्) आह्वानकर्ता और प्रार्थनाकारी हम लोगों का (स्तोमः) स्तोत्र अर्थात् यशःप्रसारक गानविशेष ही (दूतः) दूत होकर वा दूत के समान (वाम्+हुवत्) आप दोनों को निमन्त्रण कर यहाँ ले आवे। जो स्तुतिगान (वाहिष्ठः) आपके यशों का इधर-उधर अतिशय ले जानेवाला है तथा वह स्तोम (युवाभ्याम्+भूतु) आप सबको प्रिय होवे ॥१६॥
भावार्थभाषाः - हमारे समस्त काम राज्यप्रियसाधक हों ॥१६॥
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शिव शंकर शर्मा

पुनस्तदनुवर्तते।

पदार्थान्वयभाषाः - हे नरा=नेतारौ ! अश्विना=अश्विनौ। हवानाम्= ह्वातॄणामस्माकम्। वाहिष्ठः=अतिशयेन यशोवोढा। स्तोमः। दूतः=दूत इव भूत्वा। वाम=युवाम्। हुवत्=आह्वयतु। तथा स स्तोमः। युवाभ्यां प्रियः। भूतु=भवतु ॥१६॥